श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf download

आज के इस लेख में श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf डाउनलोड करने का लिंक देने वाला हूं जिससे आप अपने मोबाइल में डाउनलोड करके पड़ सकता है।

श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf download करने से पहले इसके बारे में संपूर्ण जानकारी पता होना चाहिए जो इस लेख में विस्तार रूप से बताया गया है आप इसे पढ़ सकते हैं।

श्री सूक्त पाठ एक वेदीय मंत्र है जो हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मंत्र का पाठ करने से व्यक्ति को समृद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, श्री सूक्त पाठ करने से मन की शांति भी मिलती है।

श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf | sri suktam path in hindi pdf download

PDF Nameश्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf | sri suktam path in hindi pdf
No. of Pages8
PDF Size200 KB
LanguageHindi
CategoryReligion & Spirituality
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श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf
श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf
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What is श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf ?

श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf एक पीडीएफ फाइल होती है जिसमें श्री सूक्त का पूरा पाठ होता है। यह फाइल इंटरनेट पर बहुत ही आसानी से उपलब्ध होती है।

और आप इसे अपने मोबाइल फोन या कंप्यूटर में डाउनलोड कर सकते हैं। श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf आपको अपने समय और स्थान के अनुसार श्री सूक्त का पाठ करने की सविधा है।

श्री सूक्त पाठ का महत्व

श्री सूक्त पाठ करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह मंत्र धन की प्राप्ति में सहायता करता है और समृद्धि एवं खुशियों का वरदान देता है।

इस मंत्र का पाठ करने से दिमाग शांत होता है और मन में आनंद की भावना आती है। श्री सूक्त पाठ करने से व्यक्ति की अधिकतम समस्याएं दूर होती हैं और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

श्री सूक्त पाठ के लाभ

  • धन की प्राप्ति में सहायता करता है।
  • समृद्धि एवं खुशियों का वरदान देता है।
  • संबंधों में सुधार होता है और उनमें सौहार्द आता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति होती है।
  • संकटों से मुक्ति मिलती है।

श्री सूक्त पाठ के नियम

  • श्री सूक्त पाठ करने से पहले आपको अपने ध्यान को इस पाठ पर केंद्रित करना होगा।
  • आपको शुभ मुहूर्त में श्री सूक्त पाठ करना चाहिए।
  • पाठ करते समय आपको अपनी बाएं हाथ को दाहिनी तरफ मोड़ना होगा।
  • श्री सूक्त पाठ करते समय आपको सभी मंत्रों को ध्यान से पढ़ना होगा।
  • आप चाहें तो श्री सूक्त पाठ के दौरान मला या जपमाला का उपयोग कर सकते हैं।
  • इस मंत्र को पाठ करने के बाद आपको हवन करना चाहिए।
  • आप रोजाना श्री सूक्त पाठ कर सकते हैं।

श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf download

दोस्तों अगर आपने अभी तक श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf को डाउनलोड नहीं किया है तो नीचे दिए गए डाउनलोड बटन के ऑप्शन पर क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं।

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यदि आपको श्री सूक्त पाठ इन हिंदी pdf download करने में कोई प्रॉब्लम हो रहा है तो आप कमेंट बॉक्स में हमें बता सकते हैं हम आपके सहायता जरूर करेंगे।

श्री सूक्त पाठ | Sri Suktam PDF in Hindi

1- ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

अर्थ➠ हे जातवेदा (सर्वज्ञ) अग्निदेव! आप सुवर्ण के समान रंगवाली, किंचित् हरितवर्णविशिष्टा, सोने और चाँदी के हार पहननेवाली, चन्द्रवत् प्रसन्नकान्ति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आह्वान करें।

2- तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।

यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।।

अर्थ➠ हे अग्ने! उन लक्ष्मीदेवी का, जिनका कभी विनाश नहीं होता तथा जिनके आगमन से मैं स्वर्ण, गौ, घोड़े तथा पुत्रादि प्राप्त करूँगा, मेरे लिये आह्वान करें।

3- अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।

श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।

अर्थ➠ जिनके आगे घोड़े और रथ के मध्य में वे स्वयं विराजमान रहती हैं। जो हस्तिनाद सुनकर प्रमुदित (प्रसन्न) होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आह्वान करता हूँ। लक्ष्मीदेवी मुझे प्राप्त हों

4- कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।

पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

अर्थ➠ जो साक्षात् ब्रह्मरूपा, मन्द-मन्द मुस्कुरानेवाली, सोने के आवरण से आवृत्त, दयार्द्र, तेजोमयी, पूर्णकामा, भक्तनुग्रहकारिणी, कमल के आसन पर विराजमान तथा पद्मवर्णा हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मैं यहाँ आह्वान करता हूँ।

5- चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।

तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।

अर्थ➠ मैं चन्द्र के समान शुभ्र कान्तिवाली, सुन्दर द्युतिशालिनी, यश से दीप्तिमती, स्वर्गलोक में देवगणों द्वारा पूजिता, उदारशीला, पद्महस्ता लक्ष्मीदेवी की मैं शरण ग्रहण करता हूँ। मेरा दारिद्र्य दूर हो जाये। मैं आपको शरण्य के रूप में वरण करता हूँ।

6- आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।

तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।

अर्थ➠ सूर्य के समान प्रकाशस्वरूपे! आपके ही तप से वृक्षों में श्रेष्ठ मंगलमय बिल्ववृक्ष उत्पन्न हुआ। उसके फल आपके अनुग्रह से हमारे बाहरी और भीतरी दारिद्र्य को दूर करें।

7- उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।

प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।

अर्थ➠ हे देवि! देवसखा कुबेर और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष-प्रजापति की कन्या कीर्ति मुझे प्राप्त हों अर्थात् मुझे धन और यश की प्राप्ति हो। मैं इस राष्ट्र (देश) में उत्पन्न हुआ हूँ, मुझे कीर्ति और ऋद्धि प्रदान करें।

8- क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।

अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।

अर्थ➠ लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी (दरिद्रता की अधिष्ठात्री देवी) का, जो क्षुधा और पिपासा से मलिन-क्षीणकाया रहती है, उसका नाश चाहता हूँ। हे देवि! मेरे घर से हर प्रकार के दारिद्र्य और अमंगल को दूर करो।

9- गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।

ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

अर्थ➠ जिनका प्रवेशद्वार सुगन्धित है, जो दुराधर्षा (कठिनता से प्राप्त हो) तथा नित्यपुष्टा हैं, जो गोमय के बीच निवास करती हैं, सब भूतों की स्वामिनी उन लक्ष्मीदेवी का मैं आह्वान करता हूँ।

10- मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।

पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।

अर्थ➠ मन की कामना, संकल्प-सिद्धि एवं वाणी की सत्यता मुझे प्राप्त हो। गौ आदि पशुओं एवं विभिन्न अन्नों भोग्य पदार्थों के रूप में तथा यश के रूप में श्रीदेवी हमारे यहाँ आगमन करें।

11- कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।

श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।

अर्थ➠ लक्ष्मी के पुत्र कर्दम की हम सन्तान हैं। कर्दम ऋषि! आप हमारे यहाँ उत्पन्न हों तथा पद्मों की माला धारण करनेवाली माता लक्ष्मीदेवी को हमारे कुल में स्थापित करें।

12- आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।

नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।

अर्थ➠ जल स्निग्ध पदार्थों की सृष्टि करें। लक्ष्मीपुत्र चिक्लीत! आप भी मेरे घर में वास करें और माता लक्ष्मी का मेरे कुल में निवास करायें।

13- आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

अर्थ➠ हे अग्ने! आर्द्रस्वभावा, कमलहस्ता, पुष्टिरूपा, पीतवर्णा, पद्मों की माला धारण करनेवाली, चन्द्रमा के समान शुभ्र कान्ति से युक्त, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे यहाँ आह्वान करें।

14- आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।

सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।

अर्थ➠ हे अग्ने! जो दुष्टों का निग्रह करनेवाली होने पर भी कोमल स्वभाव की हैं, जो मंगलदायिनी, अवलम्बन प्रदान करनेवाली यष्टिरूपा, सुन्दर वर्णवाली, सुवर्णमालाधारिणी, सूर्यस्वरूपा तथा हिरण्यमयी हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मेरे यहाँ आह्वान करें।

15- तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।

यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।

अर्थ➠ हे अग्ने! कभी नष्ट न होनेवाली, उन लक्ष्मीदेवी का मेरे यहाँ आह्वान करें, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, गौएँ, दासियाँ, अश्व और पुत्रादि हमें प्राप्त हों।

16- य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।

सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।

अर्थ➠ जिसे लक्ष्मी की कामना हो, वह प्रतिदिन पवित्र और संयमशील होकर अग्नि में घी की आहुतियाँ दे तथा इन पन्द्रह ऋचाओंवाले श्रीसूक्त का निरन्तर पाठ करे।

।। इति समाप्ति ।।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

श्री सूक्त पाठ कितनी बार करना चाहिए?

श्री सूक्त पाठ को नियमित रूप से किसी भी समय उच्चारित किया जा सकता है। हालांकि, सुबह और शाम को उच्चारण करना अधिक फलदायी होता है। आप इसे एक या दो बार भी कर सकते हैं।

श्री सूक्त पाठ को किस समय करना चाहिए?

श्री सूक्त पाठ को सुबह और शाम को करना सबसे फलदायी होता है। इसके अलावा अगर आप किसी विशेष उद्देश्य के लिए श्री सूक्त पाठ कर रहे हैं तो उस उद्देश्य के अनुसार शुभ मुहूर्त में भी इसे किया जा सकता है।

श्री सूक्त पाठ करने से पहले क्या ध्यान रखना चाहिए?

श्री सूक्त पाठ करने से पहले आपको अपनी मन शुद्ध करना चाहिए। इसके लिए आप मेधावी या गंभीर उद्देश्य वाले वाक्यों को उच्चारण कर सकते हैं। इसके अलावा श्री सूक्त को शुद्ध हाथों से उच्चारित करना चाहिए। आप इसे सुबह के समय नहीं कर सकते हैं। श्री सूक्त पाठ करने से पहले अपने गुरुजन या पंडितजी से भी सलाह लेना चाहिए।

श्री सूक्त पाठ के लिए कौन सी वस्तुओं की आवश्यकता होती है?

श्री सूक्त पाठ करने के लिए किसी विशेष वस्तु की आवश्यकता नहीं होती है। आप सीधे मन से इस पाठ को कर सकते हैं। हालांकि, अगर आप चाहें तो श्री सूक्त को एक शुद्ध स्थान पर रख सकते हैं।

श्री सूक्त पाठ कैसे करें?

श्री सूक्त पाठ करने से पहले आपको अपने मन को शुद्ध करना चाहिए। इसके लिए आप मन्त्र या उद्धव स्तुति का जप कर सकते हैं। आपको श्री सूक्त को शुद्ध हाथों से उच्चारित करना चाहिए।

क्या श्री सूक्त का पाठ स्त्रियों के लिए भी उपयोगी है?

हाँ, श्री सूक्त का पाठ स्त्रियों के लिए भी बहुत उपयोगी है। इसके द्वारा स्त्रियों की समृद्धि, समाज में स्थान, उच्च स्थान और आरोग्य सुधारता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस लेख में हमने श्री सूक्त पाठ इन हिंदी पीडीएफ के बारे में जानकारी दी है। हमने इस पाठ के महत्व और फायदे के बारे में विस्तार से बताया है।

इसके अलावा, हमने इस पाठ को पढ़ने के लिए जरूरी उपकरणों के बारे में भी जानकारी दी है। यदि आप अपने जीवन में सुख और समृद्धि की कामना करते हैं,

तो आपको श्री सूक्त पाठ का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए। इस पाठ को आप फ्री ऑफ कॉस्ट डाउनलोड कर सकते हैं।

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